बातें, जो मैं कह ना सका ......
कितनी प्यारी है वो , है वो कितनी हसीन ,
देखते ही उसे , इक नशा छा गया ।
उसकी याद़ों में तन्हा , बैठा था मैं ,
तन्हाई में भी , फिर मज़ा आ गया ।।
देखते ही उसे , इक नशा छा गया ।
उसकी याद़ों में तन्हा , बैठा था मैं ,
तन्हाई में भी , फिर मज़ा आ गया ।।
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तेरा वो मुस्कुराना , और मुस्कुराना और मुस्कुराना ,
और लबों की ख़ामोशी से , बिन कहे सब कुछ कह जाना ।
मेरा तेरे पास यूँ बिना कुछ सोचे खिचा चला आना ,
और तुझसे बातें करते वक़्त , कुछ का कुछ कह जाना ।।
क्या ये सारी बातें , बस इत्तेफाक ही है,
या फिर है कुछ ऐसा हम-में , जिसे हमने अब तक ना जाना।।
और लबों की ख़ामोशी से , बिन कहे सब कुछ कह जाना ।
मेरा तेरे पास यूँ बिना कुछ सोचे खिचा चला आना ,
और तुझसे बातें करते वक़्त , कुछ का कुछ कह जाना ।।
क्या ये सारी बातें , बस इत्तेफाक ही है,
या फिर है कुछ ऐसा हम-में , जिसे हमने अब तक ना जाना।।
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ये लब जो तुम्हारे जब हिलते हैं ,
तो लगता है , लहरें अटखेलियाँ कर रही हो,
जी करता है, तुम्हे एक-टक ,
बिना पलक झपकाये बस देखता जाऊं ।
तुम्हारी आवाज , जो सुनता हूँ ,
तो एक जादू सा छा जाता है मुझपर,
लगता है की आरसों तक ,
तुम यूँ ही कहती जाओ , और मैं चुप-चाप सुनता जाऊं ।।
तो लगता है , लहरें अटखेलियाँ कर रही हो,
जी करता है, तुम्हे एक-टक ,
बिना पलक झपकाये बस देखता जाऊं ।
तुम्हारी आवाज , जो सुनता हूँ ,
तो एक जादू सा छा जाता है मुझपर,
लगता है की आरसों तक ,
तुम यूँ ही कहती जाओ , और मैं चुप-चाप सुनता जाऊं ।।
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दूँ क्या उपहार, तेरे जन्मदिन पर,
गुज़ार दिये चार दिन, ये सोच-सोच कर ।
फिर भी, कुछ जवाब मिला नहीं ,
तोहफ़े में क्या दूँ , पता चला नहीं ।।
सोचा क्यूँ ना, एक मुलाकात की सौगात दूँ ,
आकर सीधे तेरे घर , तुझसे मिलूँ ।
पर है कुछ बंदिशें, कि आ नहीं सकता ,
चाह कर भी तुझसे, मिल नहीं सकता ।।
गुज़ार दिये चार दिन, ये सोच-सोच कर ।
फिर भी, कुछ जवाब मिला नहीं ,
तोहफ़े में क्या दूँ , पता चला नहीं ।।
सोचा क्यूँ ना, एक मुलाकात की सौगात दूँ ,
आकर सीधे तेरे घर , तुझसे मिलूँ ।
पर है कुछ बंदिशें, कि आ नहीं सकता ,
चाह कर भी तुझसे, मिल नहीं सकता ।।
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ए जानेवाले , ए मेरे दिलनशी ,
अब याद तुझको करेंगे नहीं ,
खुश तू रहे सदा ये, चाहूँ मैं दिल से,
और रब से भी बस, यही दुआ है मेरी ।
कभी ध्यान जो तेरा आये, गर भूले से भी,
तो खुद को सम्भाल लेंगे, कुछ कहेंगे नहीं,
हाँ , तुझे मेरी जरूरत , गर हो कभी तो,
बस एक आवाज देना, ज्यादा सोचना नहीं ।।
अब याद तुझको करेंगे नहीं ,
खुश तू रहे सदा ये, चाहूँ मैं दिल से,
और रब से भी बस, यही दुआ है मेरी ।
कभी ध्यान जो तेरा आये, गर भूले से भी,
तो खुद को सम्भाल लेंगे, कुछ कहेंगे नहीं,
हाँ , तुझे मेरी जरूरत , गर हो कभी तो,
बस एक आवाज देना, ज्यादा सोचना नहीं ।।
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तेरे हुस्न की इबादत हम करेंगे ,
खुद को भूल कर भी, तुझे याद हम करेंगे ।
ए हसीन, इक बार हमे तू अपना कह कर तो देख,
तुम्हे जिंदगी से ज्यादा, मोहब्बत हम करेंगे ।।
और जब कहा तो कोई समझ ना सका ......
waah... Nice 1 s2 ... :)
ReplyDeleteMaine iss blog mein, ye pehle bhi kaha hai...
ReplyDelete"Baatein, jo main kah naa saka,
Aur jab kaha, to koi samajh naa saka"